भारतीय महिला हॉकी टीम की नई कप्तान सलीमा टेटे की गांव बड़कीछापर गाँव में सुविधाओं की कमी

विकास साहू

सिमडेगा: सिमडेगा जिला जिसे हॉकी के नर्सरी के रूप में जाना जाता है यहां के कई खिलाड़ी देश-विदेश में जाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक में खेल कर सिमडेगा जिले का नाम रोशन किया है और लगातार आगे भी कई खिलाड़ी अभी भी खेल रहे हैं । बुधवार को हॉकी इंडिया द्वारा एफआईएच प्री लीग हॉकी के लिए भारतीय महिला टीम की गठन करते हुए सिमडेगा की बेटी सलीमा टेटे को भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बनाया गया है। सलीमा मूल रूप से सिमडेगा सदर प्रखंड अंतर्गत पिथरा पंचायत के बड़की छापर गांव की है। कप्तान बनने पर पिता सुलक्षण टेटे ने खुशी जताते हुए बेटी को भी बधाई दिया है। जानकारी देते हुए उसने बताया कि गरीबी और तंगहाली के बीच उसे बहुत ही मेहनत से पढ़कर इस मुकाम तक उन्होंने पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि वह अपने खुद के मेहनत और काबिलियत के बल पर लगातार प्रयास करते हुए आज यहां पर पहुंची है। वह स्कूली शिक्षा के दौरान खुद से खाना बनाकर पढ़ाई के साथ-साथ गरीबों के बीच पढ़ाई की है उन्होंने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा चौथी तक गांव में पढ़ाई की जिसके बाद तुमडेगी स्कूल की पढ़ाई की और उसके बाद सिमडेगा जाकर पढ़ाई की। 

देश के महिला हॉकी कप्तान के गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी

पिता ने बताया की बेटी कप्तान होने के बावजूद आज भी गांव में कई प्रकार की मूलभूत सुविधाओं से गांव जूझ रहा है गांव में पीने की पानी के लिए काफी समस्या है ,गांव के लोग नदी में जाकर नहाने पर मजबूर है इसके अलावा पीने की पानी गांव से महज कुछ दूर दूसरे गांव के सीमा पर जाकर पानी लाना पड़ता है।इधर बेटी की कामयाबी पर खुशी जताते हुए मां ने बेटी को शुभकामनाएं दी और उन्होंने बताया कि उसकी बेटी ने उसे कॉल किया था और उसने कप्तान बनने की जानकारी दी ,साथही बेटी ने यह भी कहा कि टीम में कई अन्य सीनियर खिलाड़ी भी है। लेकिन इसके बावजूद मुझे कप्तान बनाया गया है जिस पर मां ने कहा कि तुम्हारा मेहनत और लगन और तुम्हारी काबिलियत ने तुम्हें कप्तान बनाया है। वही मां ने दुख जताते हुए कहा कि गांव में आज भी सुविधाओं की घोर कमी है पीने की पानी को लेकर हमें लंबे दूरी तय कर जाना पड़ता है कई बार प्रशासन के समक्ष बातें रखने के बावजूद आज तक गांव में पीने पानी की समस्या को दूर नहीं किया गया है। गांव में जल जीवन मिशन के तहत जगह-जगह पर जल मीनार तो लगा दिए गए हैं लेकिन अपनी शुरू नहीं होने से लोगों को पीने की पानी की काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।गांव में प्रशासन द्वारा खेल का मैदान भी बनाया गया है ।इसके अलावा एक भवन का भी निर्माण किया गया वहां पर भी पानी की कमी बताई गई बरहाल जो भी हो हॉकी के खिलाड़ी होने के नाते देश में उपेक्षा के शिकार यह गांव आज भी दंश झेल रहा है।

नेशनल टीम से इंटरनेशनल तक ऐसा रहा सलीमा का सफर

गांव में अपने खेल के साथ गुमनामी की अंधेरे में जी रही सलीमा पहली बार लट्ठाखमन गांव में खस्सी टूर्नामेंट खेलने गई थी, जिसे हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज प्रसाद की नजर पड़ी और उन्होंने उसे पहली बार तराश कर शहर के बढ़िया टर्फ में खेलने का मौका दिया और कहीं ना कहीं उनके योगदान से आज सलीमा भारतीय हॉकी टीम की कप्तान तक का सफर तय की है ।सलीमा टेटे ने साल 2013 में का चयन सिमडेगा में संचालित आवासीय हॉकी सेंटर में हुआ था।हालांकि इसके बाद उन्हें स्टेट टीम में खेलने का मौका मिला उसके बाद सलीमा ने अपनी काबिलियत के बदौलत नेशनल टीम में जगह बना ली।उसके बाद सलीमा ने साल 2016 में जूनियर हॉकी टीम खेलते हुए इंटरनेशनल में डेब्यू कर लिया।सलीमा ने टोक्यो ओलिंपिक, वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ गेम्स  भी खेला हुआ है। इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सलीमा के खेल को देखते हुए उसे शाबाशी दी थी।

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